ड्राइवर के लाइसेंस वैध नही होने पर क्या बीमा नही मिलेगा? सर्वोच्च न्यायालय ने दिया अहम फैसला – Insurance Tree

Trend -Hindi क्या ड्राइवर का लाइसेंस एक्सपायर होने पर बीमा कंपनी थर्ड-पार्टी क्लेम देने से मना कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट

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मोटर दुर्घटना बीमा मुआवजा कानून पर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण देते हुए, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोई भी बीमा कंपनी केवल इस आधार पर क्लैम को रिजेक्ट नही कर सकती कि ड्राइवर का लाइसेंस उस अवधि में वैध नही था, कोर्ट ने इस बात को दोहराया कि बीमाकर्ता का पहला और प्राथमिक कर्तव्य पीड़ित को मुआवज़े का भुगतान करना है।

यह महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने दिया। बेंच ने एक दुर्घटना पीड़ित के परिवार के हितों की रक्षा के लिए “भुगतान करो और वसूल करो” (pay and recover) के सिद्धांत को लागू किया।

यह कानूनी सवाल रमा बाई द्वारा दायर एक अपील से पैदा हुआ, जिनके बेटे नंद कुमार की 13 अक्टूबर, 2011 को एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी, नंद कुमार एक ट्रक में कंडक्टर के रूप में काम करते थे, जो एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गया था। जांच में पाया गया कि ट्रक ड्राइवर का लाइसेंस 20 जून, 2010 को ही समाप्त हो गया था और उसे 3 नवंबर, 2011 को नवीनीकृत (renew) कराया गया था, इस मामले में रायपुर के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, दोनों ने बीमा कंपनी को मुआवज़े की देनदारी से मुक्त कर दिया था।

लेकिन उसने यह निर्देश दिया था कि इस राशि का भुगतान ट्रक के ड्राइवर और मालिक द्वारा किया जाएगा। हाईकोर्ट ने माना था कि एक्सपायर लाइसेंस पॉलिसी की शर्तों का एक मौलिक उल्लंघन है।

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